बाबा नीब कारोरी का आश्रम फ़र्रुखाबाद बस स्टैंड से लगभग 28 किलोमिटर की दूरी पर पड़ता है। और फ़र्रुखाबाद रेल्वे स्टेशन से लगभग 26 किलोमिटर की दूरी पर पड़ता है।
बाबा नीब करोरी जी का जन्म कहाँ हुआ और आश्रम कैसे बना
बाबा नीब करोरी का आश्रम फ़र्रुखाबाद जिला मे बहुत प्रसिद्ध है। दूर दूर के लोग यहाँ बाबा जी के दर्शन के लिए आते हैं। मंगलवार के दिन यहाँ बहुत भीड़ रहती है।
बाबा नीब करोरी का जन्म आगरा शहर के अकबरपुर जिला मे वीसवीं शताव्दी मे एक ब्राहमन्ड परिवार मे हुआ था। पहले इनका नाम लक्ष्मी नारायण था।
बाबा जी कुछ कारणो की वजह से 11 वर्ष पहले ही अपना घर छोडकर गुजरात चले गए थे गुजरात मे वैष्णव संत के आश्रम मे रहे। उन्होने इनका नाम लक्ष्मण दास रख दिया। और एक संत का भेष धारण करबाया। बाबा जी के पास एक कमंडल था और वो लंगोट बांधे रहते थे।
ये वावनियाँ ग्राम के रामबाई आश्रम मे भी रहे, और पास मे ही एक तालाब के अंदर साधना किया करते थे। उसके बाद ये देश भ्रमण के लिए निकल गए ,इसी यात्रा मे बाबा जी जिला फ़र्रुखाबाद के गाँव नीब करोरी मे पहुंचे। गाँव वाले चाहते थे कि बाबा यहीं पर रहें, और उनकी साधना के लिए गाँव वालों ने जमीन के नीचे एक गुफा बना दी
बाबा जी के भक्त
बाबा जी को किस्मत बनाने वाले बाबा जी कहा जाता था। जिस किसी ने बाबाजी के दर्शन कर लिए तो समझो उसकी किस्मत बादल गयी। नीब करोरी वाले बाबा जी के भक्तों के बारे आप सुनेंगे तो आप चौंक जायेंगे विश्व के विख्यात लोग बाबा के चरणों मे शीश झुकाते हैं। बाबाजी के भक्त फेस्बूक के मालिक मार्कजुकरवर्ग हो या एपल के संस्थापक स्टीफजोक्स बाबा के आशीर्वाद से खरबों की एपल की कंपनी के मालिक बन गए हॉलीवुड अभिनेत्री जूलिएट रोबर्ट भी बाबा के परम भक्तों मे से एक थी
राष्ट्रपति वीवी गिरि, उपराष्ट्रपति गोपाल स्वरूप पाठक, राज्यपाल कन्हैया लाल मणि, माणिकलाल मुंशी उपराज्य पाल भगवान सहाय, न्यायमूर्ति मुखर्जी आदि लोग बाबा जी के परम भक्त थे।
नीब कारोरी बाबा जी के चमत्कार
1 बाबा जी का ट्रेन को रोकना
एक बार बाबा जी विना टिकिट ट्रेन मे यात्रा कर रहे थे। तभी वहाँ कंडक्टर आया और बाबाजी से टिकिट मांगने लगा। अब बाबाजी के पास टिकिट तो थी नही तो टिकिट न होने की वजह से बाबा जी को ट्रेन से नीचे उतार दिया, उसके बाद कंडक्टर ने ट्रेन चालक को ट्रेन चलाने के लिए कहा। लेकिन काफी प्रयासों के बाद भी ट्रेन नहीं चली। उसके बाद किसी सज्जन व्यक्ति ने कण्डक्टर को सुझाओ दिया की वो साधू महात्मा को ट्रेन मे फिर से बैठने दे तो शायद ये ट्रेन चले। सज्जन द्वारा कहे अनुसार कंडक्टर बाबा जी को ट्रेन में बैठने को कहा। बाबा लक्ष्मण दास दो शर्तों पर ट्रेन मे बैठने को तैयार हुये।
भारतीय रेल्वे कंपनी नीब करौली गाँव में स्टेशन बनाने को सुनिश्चित करे
2 रेल्वे कंपनी अब से कोई भी साधु हो उससे बेहतर व्यवहार करे न कि उसकी बेज़्जत्ती करे
उसके बाद रेल्वे अधिकारियों ने दोनों शर्तों पर सहमति दी। उसके बाद बाबा तुरंत ट्रेन में चढ़ गए लेकिन ट्रेन तब भी आगे नही बढ़ी। ड्राईवर और कंडक्टर ने इसका कारण पूंछा तो उन्होने मुस्कराते हुये उनको आशीर्वाद दिया और ट्रेन चलने लगी। बाबा नीब करोरी गाँव में कुछ समय तक रहे और बाद में उनही के नाम पर स्टेशन का नाम बाबा लक्ष्मण दास पुरी पड़ा।
2 कुएं का खारा पानी मीठा हो जाना
बाबा नीम करौली वालों के ऐसे बहुत सारे चमत्कार हैं,जिनमे से कुएं का खारा पानी मीठा हो जाना है। ऐसा कहा जाता है,कि फ़र्रुखाबाद जिले में एक कुआं हुआ करता था। जिसका पानी बहत खारा हुआ करता था। बाबा जी के यात्रा व्रतांत में किसी ने कुएं के खारे पानी होने के बारे में बताया, तो बाबाजी ने अपने शिष्य से कहा,खारे वाले कुएं में एक बोरा चीनी डाल दो पानी मीठा हो जाएगा,और वास्तव में बाबाजी के कहे अनुसार कुएं का पानी मीठा हो गया और पानी पीने योग्य हो गया।
Also Read: Top 5 Temples in Farrukhabad